Friday, June 13, 2025
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यूपी में शुरू हुईं पंचायत चुनाव की तैयारी, नए सिरे से गांवों का होगा परिसीमन, ये हो सकता है संभावित समय…

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों से शुरू हो गई हैं। इन चुनावों से पहले गांवों के परिसीमन के लिए शुक्रवार को शासनादेश जारी कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि पिछले पंचायत चुनाव के बाद तमाम ग्राम पंचायतों व राजस्व ग्रामों के शहरी क्षेत्र में शामिल होने से स्थिति बदली है। इसके मद्देनजर शासन ने सभी जिलों से ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों के आंशिक पुनर्गठन के प्रस्ताव 5 जून तक मांगे हैं।

पंचायत चुनाव-2021 के बाद कई जिलों में नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद व नगर निगम के सृजन और सीमा विस्तार के चलते ग्राम पंचायतें और राजस्व ग्राम शहरी क्षेत्र में शामिल हो गए हैं। इससे कई ग्राम पंचायतों की जनसंख्या 1000 से कम हो गई है। जारी शासनादेश में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में शामिल ग्राम पंचायतों को हटाने और बचे हुए राजस्व ग्रामों को नजदीकी ग्राम पंचायत में शामिल किया जाना जरूरी है। ग्राम पंचायतों की पूर्व में जारी अधिसूचना को संशोधित किया जाना भी आवश्यक है।

उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकार एक हजार आबादी वाले ग्राम या ग्रामों के समूह को पंचायत क्षेत्र घोषित कर सकती है। ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि अगर ऐसी ग्राम पंचायत जिसका एक राजस्व ग्राम नगरीय निकाय में शामिल हो गया है और केवल एक ही राजस्व ग्राम बचा है और वो ग्राम पंचायत बनाने का मानक पूरा नहीं करता है, तो उसे नजदीकी ग्राम पंचायत में शामिल कर दिया जाएगा।

इसी तरह से कोई ग्राम पंचायत नगरीय क्षेत्र में शामिल हो गई है और उसका कोई शेष राजस्व ग्राम, ग्राम पंचायत बनाने के लिए मानक पूर्ण करता है तो उस दशा में उस राजस्व ग्राम को ग्राम पंचायत बनाया जा सकता है। एकल राजस्व ग्राम के नाम से गठित ग्राम पंचायत अगर आंशिक रूप से प्रभावित हुई है, पर उसकी जनसंख्या 1000 हो तो वह ग्राम पंचायत यथावत बनी रहेगी।

शासन ने ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों के आंशिक पुनर्गठन के लिए प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। जिला पंचायत राज अधिकारी सदस्य सचिव और मुख्य विकास अधिकारी और अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत सदस्य होंगे। शासनादेश में यह भी कहा गया है कि डीएम अपने स्तर से यह भी सुनिश्चित कर लें कि किसी जिले में नगरीय निकाय के सृजन या सीमा विस्तार के बाद प्रभावित विकास खंड की संशोधित अधिसूचना जारी होने से न रह गई हो।
प्रदेश में पंचायत चुनाव तक नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद और नगर निगम के सृजन और सीमा विस्तार पर रोक लगा दी गई है। इस संबंध में प्रमुख सचिव, पंचायती राज अनिल कुमार की ओर से नगर विकास विभाग को आधिकारिक पत्र भेज दिया गया है। इसमें कहा गया है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अप्रैल-मई 2026 में होंगे।

ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के निर्वाचन का कार्यकाल अगले साल क्रमशः 26 मई, 19 जुलाई और 11 जुलाई को समाप्त हो रहा है। पंचायतों के लिए मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कराया जाना प्रस्तावित हैं, जिसमें लगभग छह महीने का समय लगेगा।

जारी शासनादेश में कहा गया है कि विभिन्न जिलों मे नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद और नगर निगम के सृजन व सीमा विस्तार की कार्यवाही की गई है या वर्तमान में चल रही है। ऐसी स्थिति में मतदाता सूची के पुनरीक्षण में बाधा पैदा होगी। ग्राम पंचायतों के परिसीमन, वार्डों के निर्धारण, पिछड़ी जाति की जनसंख्या का निर्धारण, श्रेणीवार जनसंख्या के आंकड़े अपडेट करने के बाद आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होगी। पंचायतों और नगर निकायों के क्षेत्रों में परिवर्तन होने से निर्वाचन संबंधी कामों पर व्यवधान पैदा होना संभावित है। इसलिए पंचायत चुनाव-2026 होने और ग्राम पंचायतों के संगठित होने तक नगरीय निकायों के सृजन एवं सीमा विस्तार को स्थगित रखने के लिए यथोचित कार्यवाही की जाए।

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