दिल्ली: केंद्र सरकार ने ‘पुरानी पेंशन’ बहाली की बजाए एनपीएस में सुधार कर नई पेंशन योजना ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) लागू करने की घोषणा की है। ज्यादातर कर्मचारी संगठनों ने यूपीएस का विरोध किया है। कई संगठनों ने केंद्र सरकार का यूपीएस पर नोटिफिकेशन आने से पहले ही विरोध का बिगुल बजा दिया है। केंद्र सरकार में बड़े कर्मचारी संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर यूपीएस का विरोध जताया है। ये कर्मचारी संगठन, अब विपक्ष को साथ लेकर केंद्र सरकार को घेरने की रणनीति बना रहे हैं। कर्मचारी संगठनों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार, बहुत जल्द दबाव में आ जाएगी। देश में पुरानी पेंशन बहाल करनी पड़ेगी। सरकार के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि पूरे देश के कर्मचारी व केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान, पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखा है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि ओपीएस के लिए दोबारा से आंदोलन शुरु हो गया है।
एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है। इसमें बंधु ने कहा है कि देश के एक करोड़ से ज्यादा शिक्षक, कर्मचारी व अधिकारी, बाजार आधारित और विसंगतिपूर्ण एनपीएस व्यवस्था के दुष्परिणाम का दंश झेल रहे हैं। वे सेवानिवृत्ति के बाद इस व्यवस्था में अपने जीवन के गुजर बसर के लिए परेशान हैं। वजह, एनपीएस में जो पेंशन दी जा रही थी, वह पर्याप्त नहीं थी। पूरे देश के कर्मचारी व केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान, पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे थे। इस बीच केंद्र सरकार द्वारा पुरानी पेंशन बहाल न कर नई पेंशन योजना ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) लाने की घोषणा कर दी गई।
इसमें जो प्रावधान हैं, उन्हें लेकर कर्मियों में भारी रोष व्याप्त है। अभी तक यूपीएस से जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसके अनुसार, एनपीएस से भी ज्यादा खराब है। इसमें शिक्षकों, कर्मचारियों व अधिकारियों को मिलने वाले बेसिक पे व डीए के वेतन का 10वां भाग, सरकार कटौती के नाम पर ले रही है। विजय बंधु ने 29 अगस्त को लिखे अपने पत्र में कहा है कि इस कटौती के जरिए जो राशि सरकार अपने पास रखेगी, वह कर्मचारियों को नहीं मिलेगी। पुरानी पेंशन व्यवस्था में यदि कोई कर्मचारी, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेता है तो उसकी पेंशन, सेवानिवृत्ति की तिथि से शुरु कर दी जाती थी, लेकिन अब यूपीएस में उसे 60 वर्ष के बाद पेंशन देने की बात कही गई है। इसी तरह यूपीएस में बहुत सारी विसंगतियां हैं। यह व्यवस्था, किसी भी तरह से ओपीएस का स्थान नहीं ले सकती। देश के सभी कर्मचारी, पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं, क्योंकि लोक कल्याणकारी राज्य में सामाजिक सुरक्षा, सरकार की जिम्मेदारी है। एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सहित करोड़ों कर्मचारियों व अधिकारियों की सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए। विजय बंधु ने इसी सप्ताह सोशल मीडिया पर पुरानी पेंशन बहाली के लिए एक अभियान शुरु किया था, जो एक्स पर ट्रेंड कर गया था।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और जेसीएम के प्रतिनिधियों की बैठक का बहिष्कार किया था, उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखा है। 30 अगस्त को भेजे पत्र में अध्यक्ष एसएन पाठक और महासचिव श्रीकुमार ने कहा, अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ, जो 3.5 लाख रक्षा असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है, वह एक जनवरी 2004 से लागू हुई सबसे भयावह और अनुचित नई पेंशन योजना ‘एनपीएस’ के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहा है। पिछले 24 वर्षों से केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी, एनपीएस का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। हाल ही में भारत सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना के नाम से ‘यूपीएस’ की घोषणा की है, जो एनपीएस का संशोधित संस्करण है। इस अनुचित यूपीएस को सरकार की उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है।
एआईडीईएफ ने यूपीएस का विरोध किया है। श्रीकुमार ने लिखा, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी इस योजना पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए यूपीएस का खारिज कर दिया है। इस अनुचित यूपीएस योजना के खिलाफ इंडिया अलायंस के कई सांसदों ने इसे एनपीएस का अनुचित संस्करण बताया है। ऐसे समय पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अखिलेश यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूपीएस की निंदा की है। उन्होंने खुले तौर पर घोषणा की है कि अगर इंडिया अलायंस सत्ता में वापस आता है तो वे एनपीएस/यूपीएस को खत्म कर देंगे। ओपीएस बहाल की जाएगी। इस बयान के लिए एआईडीईएफ ने यादव का आभार व्यक्त किया है।
बतौर श्रीकुमार, एक प्रतिबद्ध महासंघ के रूप में एआईडीईएफ अपनी मांग पर अडिग है। पुरानी पेंशन योजना ही एकमात्र ऐसी योजना है, जो सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद सम्मान और शालीनता के साथ जीवन गुजारने की सुरक्षा दे सकती है। ऐसे में अनुचित एनपीएस/यूपीएस योजना के खिलाफ एआईडीईएफ अपना आंदोलन जारी रखेगा। दूसरे कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर, संघर्ष को तेज किया जाएगा। सभी कर्मचारी, इस अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद रखेंगे। एआईडीईएफ, तब तक आराम नहीं करेगा, जब तक पुरानी पेंशन योजना, पूरी तरह से बहाल नहीं हो जाती। दूसरे विपक्षी दलों से सम्पर्क किया जा रहा है। अब निर्णायक लड़ाई होगी।
‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल भी ओपीएस बहाली के लिए जुट गए हैं। वे देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर कर्मचारियों के साथ संवाद कर रहे हैं। शनिवार को उन्होंने आगरा में कर्मचारियों से बातचीत की है। आने वाले दिनों में वे दूसरे राज्यों में भी इसी तरह के आयोजन करेंगे। डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने भी प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने यूपीएस में कई सुधारों की मांग की है। 29 अगस्त को लिखे पत्र में मुख्य तौर पर पांच मांगों का जिक्र किया गया है। अंतिम वेतन के 50 प्रतिशत एश्योर्ड पेंशन की गारंटी के लिए न्यूनतम सेवा 25 वर्ष के स्थान पर 20 वर्ष की जाए, ताकि केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मचारियों को भी न्याय मिल सके।
दूसरी मांग, रिटायरमेंट/वीआरएस पर अनिवार्य रूप से कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित वापसी की जाए, ताकि बुढ़ापे में कर्मचारी अपने पैसे से बेटी के हाथ पीले कर सके। घर बनवा सके, तीर्थ यात्रा कर सके और स्वाभिमान पूर्वक जीवन जी सके।
वीआरएस के लिए भी 25 वर्ष की अनिवार्य सेवा की जगह 20 वर्ष की जाए। यह नियम, केंद्र के ओपीएस में शामिल कर्मचारियों के लिए लागू है। इससे दोनों कर्मचारियों के बीच समानता के अधिकार के कानून का पालन हो सकेगा। ऐसा न होने से एक विसंगति पैदा हो गई है। इसके चलते कोर्ट केस बढ़ेंगे। वीआरएस लेने वाले कर्मचारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की तिथि से ही 50 प्रतिशत एश्योर्ड पेंशन देने की व्यवस्था की जाए न कि रिटायरमेंट डेट से। यहां पर सोचने वाली बात है कि यूपीएस में कैबिनेट का निर्णय है कि वीआरएस लेने वाले व्यक्ति को पेंशन, रिटायरमेंट तिथि यानी 60 साल की उम्र के बाद ही दी जाएगी।
बतौर पटेल, इसका मतलब यह हुआ कि सरकार उस व्यक्ति को वीआरएस के बाद दस साल तक कोई पेंशन नहीं देगी। अगर इस बीच रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष तक बढ़ा दी गई तो उसे 15 साल तक कोई पेंशन नहीं मिलेगी। आखिर सरकार यह कैसे निर्धारित कर पाएगी कि वीआरएस लेने वाला व्यक्ति, हर हाल में पेंशन लेने के लिए 60 या 65 वर्ष तक जीवित ही रहेगा। एनपीएस रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट जल्द से जल्द सार्वजनिक की जाए।
पीएम मोदी की बैठक में शामिल ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स’ के अध्यक्ष रूपक सरकार कहते हैं, ओपीएस का संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। अभी हम यूपीएस का विस्तृत नोटिफिकेशन आने का इंतजार कर रहे हैं। बहुत सी बातें अभी क्लीयर नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि सब खत्म हो गया। सरकार के साथ बातचीत जारी रहेगी। हालांकि कर्मचारियों की लड़ाई के मूल में ओपीएस रहेगी, ये तय है।
महाराष्ट्र में लंबे समय से ओपीएस की लड़ाई लड़ने वाले ‘महाराष्ट्र राज्य जुनी पेन्शन संघटना’ के राज्य सोशल मीडिया प्रमुख विनायक चौथे कहते हैं, ओपीएस की लड़ाई खत्म नहीं हुई है। हमारा संगठन एनएमओपीएस के तहत अपना संघर्ष जारी रखेगा। भले ही महाराष्ट्र सरकार, यूपीएस लागू करने की बात कह रही है, लेकिन कर्मचारियों को ये स्कीम मंजूर नहीं है। ओपीएस के लिए 15 सितंबर को शिरडी में ‘पुरानी पेंशन राज्य महाअधिवेशन’ आयोजित किया जाएगा। वहां मौजूद कर्मचारी, ओपीएस लागू कराने के लिए शपथ लेंगे। उस आयोजन में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाएगा। ओपीएस पर उनकी राय या स्टैंड पूछेंगे। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा ‘महाराष्ट्र राज्य जुनी पेन्शन संघटना’ के अध्यक्ष वितेश खांडेकर के नेतृत्व में शिरडी का महाअधिवेशन होगा।