Monday, March 10, 2025
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‘पूरे देश में वोटर लिस्ट पर सवाल उठ रहे, इस पर चर्चा होनी चाहिए’, लोकसभा में राहुल गांधी ने की मांग…

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दिल्ली: करीब एक महीने के अंतराल के बाद संसद के बजट सत्र की कार्यवाही शुरू हो गई है। सत्र के दूसरे भाग के पहले कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर बहस देखने को मिली है। वहीं लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने एक मांग रखी कि ‘पूरे देश में वोटर लिस्ट पर सवाल उठ रहे हैं। सभी विपक्षी दल वोटर लिस्ट पर सवाल उठा रहे हैं। अब पूरा विपक्ष बस यही कह रहा है कि वोटर लिस्ट पर चर्चा होनी चाहिए।’

राहुल गांधी ने मामले में कहा, ‘हम आपकी टिप्पणी को स्वीकार करते हैं कि सरकार मतदाता सूची नहीं बनाती है। लेकिन हम इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘देश भर में मतदाता सूची पर सवाल उठाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र समेत हर राज्य में विपक्ष ने एक स्वर में सवाल उठाए हैं।’ वहीं इस मामले में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, ‘चुनाव आयोग सरकार के हाथ में है… अगर लोकतंत्र ऐसे ही चलता रहा और चुनाव आयोग सरकार के लिए पैरवी करता रहा तो जो नतीजे आएंगे वो आपके सामने हैं… अगर यही व्यवस्था चलती रही तो ये लोकतंत्र नहीं बल्कि दिखावा है… हमें कई सालों से शक है… जमीन पर क्या होता है ये सबको पता है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है’।

इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने कहा कि मतदाता सूची में कुछ खामियां हैं और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि मुर्शिदाबाद और बर्दवान संसदीय क्षेत्रों और हरियाणा में एक ही ईपीआईसी (चुनावी फोटो पहचान पत्र) संख्या वाले मतदाता मौजूद हैं। टीएमसी ने कहा कि तृणमूल का एक प्रतिनिधिमंडल मतदाता सूची पर चिंताओं को उठाने के लिए नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त से मिल रहा है। उन्होंने मतदाता सूचियों में व्यापक संशोधन की भी मांग की, खास तौर पर अगले साल पश्चिम बंगाल और असम में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले।

सौगत रॉय ने दावा किया, ‘कुछ गंभीर खामियां हैं। महाराष्ट्र के मामले में यह बात कही गई है, जहां मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की गई थी। हरियाणा में भी इस बात की ओर ध्यान दिलाया गया। अब वे पश्चिम बंगाल और असम में भी घुसने की कोशिश कर रहे हैं, जहां अगले साल चुनाव होने हैं।’ तृणमूल नेता ने कहा, ‘पूरी मतदाता सूचियों में व्यापक संशोधन किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग को देश को जवाब देना चाहिए कि सूचियों में कुछ गलतियां क्यों हुईं।’

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