Saturday, June 14, 2025
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कश्मीरियों की इन्सानियत को सलाम: मौलाना सज्जाद

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लखनऊ: विश्व विख्यात मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी जो इस समय गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं उन्होंने अपने बयान में कहा कि पहलगाम में बुज़दिलाना, ज़ालिमाना और शैतानी हरकत की कड़े शब्दों में निंदा करता हूँ। उन्होंने कहा कि जो पर्यटक इस भरोसे पर वहाँ गए थे कि कश्मीर में अमन शांति है लेकिन उन्हें बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। ऐसा करने वालों को क़ानून गिरफ़्तार कर सख़्त सज़ा दे।

मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि अगर इन लोगों के पीछे कोई साज़िश की है तो उसे भी सख़्त सज़ा मिले। हमारी हुकूमत इस बात का सबूत पेश कर देती कि इसके पीछे पाकिस्तानी हुकूमत का हाथ है तो हम कड़े शब्दों में निंदा करते और सबूतों पर यक़ीन हो जाने के बाद अपनी हुकूमत से अपील करते कि अब देर नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मांग के बावजूद सबूत पेश नहीं किया गया, यह बात ज़ेहन में सवाल पैदा करती है।

मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा कि मैं अहल-ए-कश्मीर को सलाम पेश करता हूँ कि वहाँ के स्थानीय लोगों ने इस वीभत्स हमले की निंदा की। उन्होंने अपनी जान ख़तरे में डालकर तमाम पर्यटकों को सुरक्षित निकालकर इतिहास बना दिया है। मेरी दिली तमन्ना है कि भारत के प्रत्येक नागरिक तक कश्मीर वालों के ज़रीए से सच्चाई की रोशनी पहुँचे। मैं पूरे मुल्क और पूरी इंसानियत की तरफ़ से अहल-ए-कश्मीर को मुबारकबाद देता हूँ।

मौलाना नोमानी ने अपने बयान में कहा कि हमले के पीछे का असल मक़सद मुल्क के लोगों को आपस में बाँटकर नफ़रत की आग को भड़काना है। एक तरफ़ कश्मीर के लोगों का रवैया देखिए और दूसरी ओर उन हिंदू भाई बहनों का भी रवैया देखिए, जिन्होंने नफ़रत के इस पैग़ाम को क़ुबूल करने और ग़ुस्से में आकर हिंदू मुस्लिम रंग देने से साफ़ इनकार कर दिया।

मौलाना ने बताया कि लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की कुछ दिनों पहले ही शादी हुई थी, लेकिन ज़ालिमों ने उनको शहीद कर दिया। अगर मैं सख़्त बीमार नहीं होता तो लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की विधवा और कश्मीरी लोगों के घर जाता क्योंकि उन्होंने सच का दामन नहीं छोड़ा। नफरत वाले नाकाम हो गए और मोहब्बत वाले जीत गए।शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की विधवा को सलाम। वर्तमान समय में भारत की बहुसंख्यक ने नफ़रत को क़ुबूल नहीं किया। लेकिन यह बहुसंख्यक ख़ामोश है। सड़क पर निकल कर नफ़रत के सौदागरों को जवाब नहीं दे पा रही। उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले कोई ऐसा तमाशा कर दिया जाता है कि जब लोग वोट करने जाएँ, तब उन्हें महंगाई, बेरोज़गारी, सरकार के लोक कल्याणकारी के झूठे दावे, कश्मीर से 370 हटाना, किसान, मज़दूर और समाज के दलित पिछड़े वर्ग की परेशानियाँ कुछ भी याद न रहें। सिर्फ़ यह याद रहे कि हम हिंदू हैं और यह सरकार हिंदुत्व की है। हमें सिर्फ़ उन्हें ही वोट करना है।
मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि आरएसएस और मौजूदा सरकार देश को गर्त में ले जा रहे हैं। इस हमले को होने दिया गया, इसके पीछे बिहार का असेंबली चुनाव है। इन मौक़े पर सबसे पहले प्रधानमंत्री को कश्मीर जाना चाहिए था। उम्मीद करता हूँ कि उमर अब्दुल्लाह कश्मीर को अमन शांति स्थापित कर देंगे। देश का बहुसंख्यक हिंदू , मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, लिंगायत सभी कश्मीर की आवाम और इंसानियत के साथ हैं।
मौलाना नोमानी ने साफ तौर पर कहा कि जो सिलसिला गोधरा, गुजरात से शुरू हुआ वह हर इलेक्शन के समय देखा जाता है। देश के सभी नागरिक अब इस षडयंत्र को समझ लें। पहलगाम हमले के बाद से पूरा देश इस इंतज़ार में है कि सरकार की तरफ से कोई बहुत बड़ा ऐलान होगा। कई दिनों तक माहौल बनाया गया लेकिन इस सरकार ने अभी तक कोई पुख़्ता कदम नहीं उठाया गया।

मौलाना नोमानी ने कहा कि अगर सरकार जातिगत जनगणना का फ़ैसला किसी और मौक़े पर करती तो आज पूरा भारत जश्न मना रहा होता। देश के बड़े-बड़े बुद्धिजीवी और राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि बिहार इलेक्शन में पहलगाम हमला कोई प्रभाव नहीं डालेगा। इसलिए जातिगत जनगणना का ऐलान किया गया। इसकी मांग लंबे समय से विपक्षी दलों के साथ सामाजिक संगठन और बहुत सारे लोग कर रहे थे। ताकि देश में आबादी की असल तस्वीर सामने आए।

उन्होंने बताया कि कार्यपालिका हो, न्यायपालिका हो, मीडिया हो, डिफ़ेंस हो सभी जगह अपर कास्ट के चंद लोग ही क़ाबिज़ हैं। जातिगत जनगणना ईमानदारी से हुई तो तस्वीर साफ हो जाएगी। फिर साफ हो जाएगा कि देश के मैनेजमेंट में किसकी कितनी हिस्सेदारी होनी चाहिए और वर्तमान में किसकी कितनी हिस्सेदारी है?

उन्होंने कहा कि बिहार अपनी सियासी समझदारी के लिए जाना जाता है। इसलिए मैं बिहार के भाइयों, बहनों और नौजवानों से यह अपील करता हूँ कि आप लोग तैयार रहें। कई बड़े पत्रकारों के लेख मेरे सामने से गुज़रे हैं, जिनका कहना यह है कि मुस्लिम वोट को जाति की बुनियाद पर बांटना करना जनगणना का असल कारण है। कभी यही सरकार जातिगत जनगणना के सख़्त ख़िलाफ़ थी।
मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि इसका पूरा क्रेडिट राहुल गांधी को जाना चाहिए क्योंकि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में उन्होंने भारत की असल तस्वीर को देखा। तभी से उन्होंने इस समस्या को अपनी और कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता बना दी। अचानक ऐलान करने के पीछे कांग्रेस व विपक्षी दलों के गठबंधन को कमजोर करना हो सकता है। लेकिन बिहार के लोग समझदार हैं। मुसलमानों के वोट को जाति की बुनियाद पर बांटा जाए, यह भी एक उद्देश्य हो सकता है। बड़े पैमाने पर बीजेपी मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर कर जाति की बुनियाद पर वोट बांट सकती है।
मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि मैं बिहार के उलमा और बुद्धिजीवी वर्ग से गुज़ारिश करता हूँ कि इस वक़्त देश का भविष्य आपके हाथों में है। मुझे भरोसा है कि यह जातिगत जनगणना का ऐलान बिहार और अगले साल यूपी में होने वाले चुनाव को सामने रख कर किया गया है। लिहाज़ा बिहार में तेजस्वी यादव और यूपी में अखिलेश यादव की ज़िम्मेदारी है कि वह मुस्लिम लीडरों के साथ ही समाज के दूसरे वर्ग से भी संपर्क बना रखें और इस साज़िश को नाकाम करने के लिए पुख़्ता इरादा करें। तभी हमारा देश सुरक्षित रहेगा और भारत में लोकतंत्र मजबूत बना रहेगा।

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