नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को तीन नए आपराधिक कानूनों (Three New Criminal Laws In India) की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कानून अभी लागू भी नहीं हुए हैं। कोर्ट का नकारात्मक रुख देखते हुए याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली। वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तीन नये आपराधिक कानूनों को चुनौती दी थी। साथ ही कानूनों पर रोक लगाने की भी मांग की थी।
विशाल तिवारी की याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और पंकज मित्तल की अवकाशकालीन पीठ में सुनवाई के लिए लगी थी। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई को लेकर रुचि नहीं दिखाई। पीठ ने कहा कि अभी तो कानून लागू भी नहीं हुए हैं। वह याचिका खारिज कर रहे हैं। याचिका पर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि यह बहुत ही हल्के तरीके से दाखिल की गई है।
जब विशाल तिवारी ने याचिका पर बहस करनी चाही तो पीठ ने कहा कि अगर वह मामले पर बहस करेंगे तो यह याचिका जुर्माने सहित खारिज की जाएगी। पीठ का नकारात्मक रुख देखते हुए तिवारी ने कोर्ट से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। जिसके बाद तिवारी ने याचिका वापस ले ली।
संसद ने पिछले साल दिसंबर में तीन नये आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पारित किये थे। इन कानूनों को राष्ट्रपति ने दिसंबर में ही मंजूरी दे दी थी। ये तीनों कानून एक जुलाई से लागू होने वाले हैं। ये कानून आइपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
विशाल तिवारी ने याचिका में तीनों नये कानूनों को चुनौती देते हुए कहा था कि इन कानूनों के विधेयक संसद में बिना चर्चा के पारित हुए थे क्योंकि उस समय अधिकतर विपक्षी सदस्य निलंबित थे। याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट एक विशेषज्ञ समिति गठित करे जो तीनों कानूनों की व्यवहारिकता का आंकलन करे।