दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में महंगाई पर टिप्पणी की। केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि आरबीआई खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन देश में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण अवस्फीति की प्रक्रिया को अंतिम मील तक पहुंचाने में धीमी साबित हो रही है। दास ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, महंगाई को थामने की प्रक्रिया को खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। यह जो जिद्दी और उच्च स्तर पर है। इसकी मुख्य वजह आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियां हें। यह मौसम की स्थिति से भी प्रभावित है। दास ने जोर देकर कहा कि जैसा कि कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में देखा गया है, अवस्फीति की यात्रा अपने अंतिम पड़ाव धीमी हो जाती है।
दास ने कहा, “बहुत सारी अनिश्चितताएं हैं; खाद्य मुद्रास्फीति लगातार ऊंची बनी हुई है। पिछले सात महीनों में औसत खाद्य मुद्रास्फीति 8 प्रतिशत के आसपास रही है।” भारत की मुख्य मुद्रास्फीति रीडिंग काफी हद तक कम हो गई है और यह मई में 3 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गई है।
आरबीआई लगातार खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर चिंता व्यक्त करता रहा है। हाल ही में एमपीसी की बैठक बाद आरबीआई गवर्नर दास ने महंगाई को धीमी गति से चलने वाला हाथी करार दिया था।उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर एक साल के न्यूनतम स्तर 4.75% पर आ गई। हालांकि, खाद्य वस्तुओं की श्रेणी में मुद्रास्फीति मामूली रूप से कम होकर 8.69 प्रतिशत रह गई, यह अप्रैल में 8.70 प्रतिशत थी। इसी तरह, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति मई में 15 महीने के उच्च स्तर 2.61 प्रतिशत पर पहुंच गई।
मई में खाद्य पदार्थों की थोक मुद्रास्फीति 10 महीने के उच्चतम स्तर 9.82 प्रतिशत पर पहुंच गई। मई में सब्जियों की मुद्रास्फीति 32.42 प्रतिशत थी, जो उससे पिछले महीने में 23.60 प्रतिशत थी। प्याज की मुद्रास्फीति 58.05 प्रतिशत और आलू की मुद्रास्फीति 64.05% प्रतिशत रही।