लखनऊ: अब पैसे के अभाव में एससी-एसटी के युवा उच्च शिक्षा से वंचित नहीं हो सकेंगे। प्रदेश सरकार दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में गरीब एससी-एसटी छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत देने जा रही है। इन्हें इस बार दाखिले के समय ट्यूशन फीस नहीं देनी पड़ेगी।
छात्रवृत्ति के ऑनलाइन आवेदन के समय ही अर्हता पूरी करने वाले छात्र-छात्राओं का फ्रीशिप कार्ड जेनरेट हो जाएगा। इसे दाखिले के समय शैक्षिक संस्थान में जमा करने पर छात्र-छात्राओं को ट्यूशन फीस से मुक्ति मिल जाएगी।
इन्हें सिर्फ दूसरे शुल्क देने पड़ेंगे। यह व्यवस्था वर्तमान शैक्षिक सत्र 2024-25 से ही प्रदेश में लागू होने जा रही है। इसका लाभ करीब 14 लाख से अधिक एससी-एसटी छात्र-छात्राओं को मिलेगा।
यह सुविधा शुरुआत में सरकारी व एडेड कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं को मिलेगी। सरकार 2.50 लाख रुपये तक सालाना आय वाले अनुसूचित जाति-जनजाति परिवारों के छात्रों को छात्रवृत्ति के साथ शुल्क की प्रतिपूर्ति करती है।
पहले भी एससी-एसटी छात्रों को जीरो फीस पर दाखिले की व्यवस्था थी, किंतु इस योजना में बड़े पैमाने पर घपले सामने आने के बाद सरकार ने इसे खत्म कर दिया था। दाखिले के समय छात्र-छात्राओं को पूरी फीस जमा करनी होती थी, बाद में समाज कल्याण विभाग उन्हें शुल्क प्रतिपूर्ति करता था।
इस व्यवस्था में गरीब छात्र-छात्राओं को दाखिले के लिए धनराशि उधार लेनी पड़ती थी, कई बार उन्हें बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। सरकार ने इनकी समस्याओं को देखते हुए व्यवस्था में बदलाव करने का निर्णय लिया है।
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने पर सरकारी व एडेड कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं का फ्रीशिप कार्ड जेनरेट हो जाएगा। ऑनलाइन आवेदन के समय छात्र को आय व जाति प्रमाण पत्र का नंबर भरना होगा।
नंबर भरते ही इन प्रमाण पत्रों का लाइव सत्यापन हो जाएगा। आधार नंबर डालने पर ऑनलाइन प्रमाणीकरण के बाद फ्रीशिप कार्ड जेनरेट हो जाएगा। जल्द ही सरकार इसकी नियमावली जारी करने जा रही है।
सरकार की इस योजना से बीटेक के छात्रों को ही 55 हजार से एक लाख रुपये तक ट्यूशन फीस नहीं देनी पड़ेगी। एमबीए व एमसीए में दाखिला लेने वाले युवाओं का भी 50 से 80 हजार रुपये तक शुल्क बचेगा।
इसी प्रकार सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले एससी-एसटी छात्र-छात्राओं को करीब 35 हजार रुपये तक की ट्यूशन फीस की बचत होगी। पहले यह धनराशि प्रवेश के समय ही छात्रों को देनी पड़ती थी।
सरकार दिव्यांग छात्र-छात्राओं के लिए भी छात्रवृत्ति की व्यवस्था आसान करने जा रही है। दिव्यांग छात्रों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त छात्रवृत्ति दी जाती है। अब सरकार छात्रवृत्ति के पोर्टल को यूनिक डिसेबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) के साथ जोड़ने जा रही है। इससे यूडीआईडी नंबर डालते ही वेबसाइट पर सीधा पता चल जाएगा कि छात्र कितने प्रतिशत दिव्यांग है, और उसे जल्द ही छात्रवृत्ति भेज दी जाएगी।
प्रदेश सरकार छात्रवृत्ति के पोर्टल को आल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआईएसएचई) से जोड़ने जा रही है। केंद्र सरकार की यह संस्था कक्षा 12 से ऊपर के कॉलेज को एक कोड देती है। ऐसे में कॉलेज को यह कोड छात्रवृत्ति के पोर्टल पर भरना होगा।
फर्जी कॉलेजों को कोड आवंटित नहीं होता है ऐसे में वह सिस्टम से बाहर हो जाएंगे। इसी प्रकार कक्षा एक से 12 तक के कॉलेजों काे कोड यू-डायस से मिलता है। इससे भी पोर्टल को जोड़ा जा रहा है ताकि फर्जी स्कूल-कॉलेज बाहर हो सकें।