दिल्ली: दिल्ली की आबकारी नीति और धन शोधन से जुड़े अहम मामले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी है। दो जजों की पीठ आज दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम की जमानत याचिका पर फैसला सुनाया। सर्वोच्च न्यायालय ने उन पर शर्त लगाते हुए निर्देश दिया कि वे अपना पासपोर्ट जमा कर दें। उन्हें हर सोमवार को थाने में गवाही देनी होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने उनसे कहा कि वे गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश न करें। कोर्ट ने उन्हें सचिवालय जाने की इजाजत दी है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई के बाद छह अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया 17 महीने से हिरासत में हैं और अभी तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ है, जिससे उन्हें त्वरित सुनवाई के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है। इन मामलों में जमानत मांगने के लिए उन्हें ट्रायल कोर्ट में भेजना न्याय का मखौल उड़ाना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट यह स्वीकार करें कि जमानत का सिद्धांत एक नियम है और जेल एक अपवाद है। इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि सिसोदिया को 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानतदारों पर जमानत पर रिहा किया जाए।
बता दें कि सिसोदिया को रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 बनाने, इसके कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पहले 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था। बाद में कई अलग-अलग आरोपों के तहत प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने भी सिसोदिया पर शिकंजा कसा। उन्होंने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। सिसोदिया ने यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। ईडी और सीबीआई ने उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया था।