दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जम्मू-कश्मीर में तीन चरण में मतदान होगा। 18 सितंबर को पहला चरण का मतदान होगा। 25 सितंबर को दूसरा फेज की वोटिंग होगी। एक अक्तूबर को तीसरा चरण का मतदान होगा। जबकि चार अक्टूबर को मतगणना होगी।
इससे पहले, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि लोकसभा चुनाव सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया रहा। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा मतदान अगर कहीं किसी चुनाव में हुआ तो वह लोकसभा चुनाव 2024 था। ये चुनाव उत्सवी माहौल में हुए। युवाओं-महिलाओं ने मतदान प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लोकतंत्र का जीवंत उदाहरण हमें देखने को मिला। जब-जब विश्व में चुनाव होंगे, आपको निश्चित रूप से हमारे देश में हुए चुनाव की याद आती रहेगी। ये चुनाव हमें अपनी ताकत का एहसास दिलाते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि हाल ही में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर का हमने दौरा किया। वहां के लोग लालायित हैं चुनाव के लिए। जम्मू कश्मीर के बारे में पहले जिक्र करें तो आपको याद होगा कि लोकसभा चुनाव के दौरान वहां मतदान केंद्रों पर लंबी-लंबी कतारें जम्हूरियत की ताकत का बेहतरीन उदाहरण पेश करती हैं। जम्हूरियत की ऐसी झलक बताती है कि आवाम अपनी तकदीर बदलना चाहता है और तकदीर को खुद लिखना चाहता है। यह बुलेट पर बैलट की जीत है।
कश्मीर की घाटी के तीन निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छा मतदान हुआ। घाटी ने हिंसा को नकारा और बुलेट और बहिष्कार के बदले बैलेट को चुना। कश्मीरी प्रवासियों के लिए अलग से विशेष व्यवस्था की गई थी ताकि हर नागरिक को पूरा अवसर मिला। तब सरलीकरण किया गया था। तब फॉर्म एम में ढील दी गई थी।
जम्मू-कश्मीर में चुनाव के दौरान पुनर्मतदान की जरूरत नहीं पड़ी। कोई बड़ी हिंसा नहीं हुई। गड़बड़ी रोकने के लिए जम्मू-कश्मीर में 100 करोड़ रुपये मूल्य की जब्ती भी हुई थी। जम्मू-कश्मीर में 90 निर्वाचन क्षेत्र हैं। यहां 87.09 लाख मतदाता हैं। 44.46 लाख पुरुष और 42.63 लाख महिला मतदाता होंगी। यहां पहली बार मतदान करने वालों की संख्या 3.71 लाख होगी। साथ ही कुल 20 लाख से ज्यादा युवा मतदाता होंगे।
जम्मू-कश्मीर में 90 निर्वाचन क्षेत्र हैं। यहां 87.09 लाख मतदाता हैं। 44.46 लाख पुरुष और 42.63 लाख महिला मतदाता होंगी। यहां पहली बार मतदान करने वालों की संख्या 3.71 लाख होगी। साथ ही कुल 20 लाख से ज्यादा युवा मतदाता होंगे।
हाल ही में चुनाव आयोग की टीम ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था। इस दौरान टीम ने वहां से राजनीतिक दलों और अफसरों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में तैयारियों की समीक्षा की गई थी।
आपको बता दें कि 370 हटने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे। आपको बता दें कि 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया था। उसके बाद से ही वहां के राजनीतिक दल लगातार राज्य का दर्जा वापस दिए जाने की मांग कर रहे थे। उधर, सरकार की ओर से कहा जा रहा था कि पहले राज्य में चुनाव होंगे और उसके बाद ही राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में तीन या चार चरण में मतदान हो सकता है। सितंबर माह में ही मतदान की प्रक्रिया होने के बाद इसी माह के अंत तक चुनाव नतीजों की घोषणा की जा सकती है। प्रदेश में चुनाव संपन्न कराने की राह में सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। हाल ही में जम्मू संभाग में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं। इससे प्रशासन चिंतित है।