लखनऊ: केंद्र सरकार के अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 को लेकर बार एसोसिएशन के नेतृत्व में लखनऊ सहित यूपी के कई जिलों में वकीलों ने प्रदर्शन किया और बिल की प्रतियां जला दीं। इस दौरान उन्होंने काला कानून वापस लो… अधिवक्ता एकता जिंदाबाद… जैसे नारे लगाए। लखनऊ में अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट से लेकर हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा तक मार्च किया। वकील विधानभवन का घेराव करने जा रहे थे। हालांकि, पुलिस ने बैरीकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया।
अमेठी में वकीलों ने बिल को लेकर नाराजगी जताने के साथ ही तहसील में विरोध प्रदर्शन कर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा और नारेबाजी करते हुए प्रतियां भी जलाई। अमेठी तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव मूर्ति तिवारी के नेतृत्व में अधिवक्ता संघ ने बैठक करते हुए अधिवक्ता संशोधन अधिनियम बिल को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। अध्यक्ष ने कहा कि पूरे देश के अधिवक्ता समाज के साथ अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 एक धोखा है। यह बिल अधिवक्ताओं के अधिकार का हनन करने वाला है। केंद्र सरकार जबरन अधिवक्ताओं पर यह बिल लाकर शोषण का शिकार बनाने का कार्य कर रही है। अधिवक्ता समाज इसे कदापि बर्दाश्त नहीं करेगा। विरोध प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र सरकार को अधिवक्ता समाज सचेत कर रही है कि यदि वह इस बिल को अविलंब वापस नहीं ले रही तो उसके खिलाफ पूरे देश के अंदर अधिवक्ता समाज विरोध करेगा।
प्रदर्शन के दौरान अधिवक्ता अजीत सिंह ने कहा की एडवोकेट अमेंडमेंट बिल में अधिवक्ताओं के हित का कुछ भी नहीं है। बिल के द्वारा केंद्र सरकार अपने सदस्य नामित कर बार कांउसिल ऑफ इंडिया की स्वायत्तता समाप्त करने के विचार में है। उन्होंने कहा कि संशोधन बिल से अधिवक्ताओं की हड़ताल की शक्ति को छीनने का प्रयास किया जा रहा है। बिल सुझाव लायक नहीं है, यह बिल अधिवक्ताओं के लिए फांसी का फंदा है। संशोधन बिल संविधान के अनुच्छेद 19 (विरोध का अधिकार) के विपरीत है। सरकार अधिवक्ताओं को कमजोर कर न्यायपालिका पर कब्जे का प्रयास कर रही है, जो अधिवक्ता बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस मौके पर बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के आह्वान पर शुक्रवार को जिले के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे। अधिवक्ता नियमावली संशोधन बिल के विरोध में जहां इकौना तहसील के अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन। वहीं, भिनगा और जमुनहा में भी अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से विरत रह अपना विरोध जताया।