Saturday, June 14, 2025
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रामनगर डिग्री कॉलेज का नाम बदलने की उठी मांग, सांसद तनुज पुनिया ने राज्यपाल और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र…

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बाराबंकी: रामनगर के लोकप्रिय राजा स्वर्गीय अमर कृष्ण प्रताप नारायण सिंह को उनकी जनकल्याणकारी नीतियों और समाज के प्रति समर्पण के लिए आज भी याद किया जाता है। वे एक नेकदिल शासक थे, जिन्होंने अपने परिवार के साथ मिलकर रामनगर क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

ब्लॉक, तहसील, थाना, इंटर कॉलेज और डिग्री कॉलेज की स्थापना में उनका योगदान अतुलनीय रहा है। विशेष रूप से, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अपनी 100 बीघा जमीन स्वेच्छा से दान में दी थी, ताकि क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए बाहर न जाना पड़े और उन्हें अपने ही क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल सके।

रामनगर डिग्री कॉलेज का नाम बदलने की उठी मांग
अब, स्थानीय जनता की मांग पर माननीय सांसद तनुज पुनिया जी ने प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि रामनगर डिग्री कॉलेज का नाम बदलकर स्वर्गीय राजा रत्नाकर सिंह महाविद्यालय, रामनगर रखा जाए।

सांसद तनुज पुनिया जी ने पत्र में उल्लेख किया है कि स्वर्गीय राजा अमर कृष्ण प्रताप नारायण सिंह और उनके परिवार ने स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। आज अगर रामनगर क्षेत्र के युवा शिक्षा प्राप्त कर देश और समाज में अपना नाम रोशन कर रहे हैं, तो इसका श्रेय रामनगर राज परिवार को जाता है, जिन्होंने शिक्षा के महत्व को समझते हुए अपनी निजी संपत्ति समाज के लिए दान कर दी।

राज परिवार की विरासत को सहेजने की अपील
सांसद ने पत्र में इस बात को भी प्रमुखता से रखा कि रामनगर राज परिवार, जो रैकवार ठाकुरों का परिवार है, का समाज और शिक्षा में योगदान अविस्मरणीय है। इस परिवार के वर्तमान वारिस स्वर्गीय राजा रत्नाकर सिंह, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं और उनके कोई संतान भी नहीं है, उनकी स्मृति को बनाए रखने के लिए रामनगर डिग्री कॉलेज का नाम उनके नाम पर रखा जाना चाहिए।

जनता में व्यापक समर्थन
यह मांग सिर्फ सांसद की नहीं, बल्कि स्थानीय जनता की भावनाओं का भी सम्मान है। क्षेत्र के नागरिकों का मानना है कि जिस राज परिवार ने अपनी भूमि दान कर शिक्षा के लिए इतना बड़ा योगदान दिया हो, उस परिवार की विरासत को संजोना और सम्मान देना हमारा कर्तव्य है।

अब यह देखना होगा कि प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार इस मांग पर क्या निर्णय लेती है। जनता को उम्मीद है कि राज्यपाल और शिक्षा मंत्री इस प्रस्ताव पर जल्द से जल्द सकारात्मक निर्णय लेंगे, जिससे क्षेत्र के महान शिक्षाप्रेमी राजा की विरासत को उचित सम्मान मिल सके।

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