लखनऊ: रमज़ान के मुक़द्दस महीने में परिवार के नन्हे सदस्य हसन इरशाद ने अपना पहला रोज़ा रखकर एक मिसाल कायम की है। मासूम हसन ने सुबह चार बजे सेहरी के साथ अपने पहले रोज़े की शुरुआत की और पूरे दिन अल्लाह की इबादत में गुज़ारा।
हसन के माता-पिता ने बताया कि उन्होंने हसन को रोज़े के महत्व के बारे में समझाया था, और उन्होंने इसे बहुत उत्साह के साथ स्वीकार किया। हसन के पिता मोहम्मद इरशाद जो एक भू-वैज्ञानिक हैं ने बताया कि, हसन ने न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी मज़बूती दिखाई। हमें उस पर बहुत गर्व है। उन्होंने बताया कि हसन के पहले रोज़े रखने के लिए उसे मानसिक तौर पर मजबूत करने की जरूरत थी। इसलिए हमने उसे रोज़े की अहमियत बताई। रमजान के रोज़े सिर्फ भूख-प्यास सहने का नाम नहीं, बल्कि अपनी रूह को पाक करने और हर बुराई से बचने की सीख है।
शाम को, हसन के पहले रोज़े के उपलक्ष्य में शानदार इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया। जिसमें परिवार के सदस्यों में हसन के छोटे दोस्तों के साथ ही पड़ोसियों ने भाग लिया। हसन इरशाद को गुलाब के फूलों का हार पहनाया गया।
रोजा कुशाई के बाद सभी लोगों ने दुआओं और तोहफों से नवाज़ा। इफ्तार के समय, जब हसन ने अपना पहला रोज़ा खोला, तो परिवार के सभी सदस्य भावुक हो गए। हसन का पहला रोज़ा न केवल उसके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह दिखाता है कि आस्था और समर्पण से कुछ भी संभव है।
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