Monday, March 31, 2025
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UP में 20 जिलों के 900 गांव बाढ़ की चपेट में, CM योगी बोले- पीड़ितों को 24 घंटे में दें मुआवजा…

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गंगा, गोमती और घाघरा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। रामगंगा, गर्रा, खनौत, राप्ती, बूढ़ी राप्त, कानो, शारदा नदियां भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। लखीमपुर खीरी से लेकर बलरामपुर, अयोध्या, उन्नाव और बलिया, बस्ती समेत 20 जिलों के करीब 900 गांव अब भी बाढ़ की चपेट में हैं। बलिया में घाघरा नदी के कटाव के कारण 13 गांव पानी में डूबे हुए हैं। वाराणसी में 48 घंटे में गंगा नदी का जल स्तर दो मीटर तक बढ़ा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक में बाढ़ प्रभावित इलाकों की समीक्षा करते हुए कहा कि बाढ़ आपदा सहायता और संवेदना का समय है। उन्होंने पीड़ित परिवारों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने के साथ चौबीस घंटे में मुआवजा देने के निर्देश दिए। बाढ़ पीड़ितों के साथ सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को शिष्टता से पेश आने की नसीहत दी।

बाढ़ प्रभावित जिलों के जिलाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि बाढ़ से अब तक 20 जनपदों की 69 तहसीलों के 1571 गांव के अलावा बरेली, पीलीभीत व शाहजहांपुर के शहरी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। इसका असर 14.80 लाख नागरिकों पर पड़ा है। इनमें से 5.29 लाख व्यक्ति ऐसे हैं, जिनकी सम्पत्तियों (खेती, मकान, गृहस्थी और पशु) को नुकसान पहुंचा है। जल भराव के कारण प्राथमिक रूप से 3.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। सेटेलाइट से प्राप्त जलभराव डाटा के आधार पर स्थलीय टीमें बनाकर खेती के नुकसान की पुष्टि कराई जा रही है। साथ में ड्रोन सर्वे की व्यवस्था भी की जा रही है।
लखीमपुर खीरी में शारदा नदी के भूमि कटान करने के रौद्ररुप को देख ग्रामीणों में दहशत बढ़ गई है। सोमवार को चार घंटे में बेलहा सिकटिहा गांव के पास देवी मंदिर नदी में समा गया। इसे देखकर ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ गईं हैं।
गोरखपुर में बीते चौबीस घंटे में राप्ती नदी के जलस्तर में 20 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे पहले से खतरे के निशान से ऊपर बह रही इस नदी का जलस्तर लाल निशान से 93 सेंटी मीटर ऊपर पहुंच गया है।
काशी में गंगा के जलस्तर में लगातार दूसरे दिन भी बढ़ाव जारी रहा। देर शाम आठ घाटों का आपसी संपर्क टूट गया। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जलस्तर 61.79 मीटर दर्ज किया गया। रत्नेश्वर महादेव मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब गया है। देर शाम को प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती का स्थल भी बदलना पड़ा। विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार से लगते ललिता घाट के रैंप और मणिकर्णिका घाट के रैंप पर भी पानी चढ़ने लगा है।

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